मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना

(पूर्व नाम मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना)

मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना, जिसे पहले मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के नाम से जाना जाता था, राजस्थान सरकार द्वारा शुरू की गई एक महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य बीमा योजना है। इस योजना का उद्देश्य राजस्थान के प्रत्येक परिवार को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है, विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्गों को। यह योजना यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसके तहत राजस्थान देश का पहला राज्य बना है जो अपने सभी नागरिकों को स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करता है।

मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की शुरुआत 1 मई 2021 को तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा की गई थी। यह योजना आयुष्मान भारत-महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना का विस्तार थी, जिसे 30 जनवरी 2021 से प्रभावी किया गया था।

वर्ष 2023 में, इस योजना का नाम बदलकर मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना कर दिया। इसके साथ ही, स्वास्थ्य बीमा कवरेज को बढ़ाकर ₹25 लाख तक कर दिया गया, जिसमें ₹10 लाख तक का दुर्घटना कवर भी शामिल है। यह योजना सरकारी और अधिकृत निजी अस्पतालों में कैशलेस चिकित्सा सेवाएं प्रदान करती है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच आसान और सुलभ हो सके।

योजना की प्रमुख विशेषताएं

कैशलेस स्वास्थ्य बीमा कवरेज:

   योजना के तहत प्रत्येक पात्र परिवार को प्रति वर्ष ₹25 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जाता है।

   इसमें ₹10 लाख तक का दुर्घटना बीमा कवर भी शामिल है, जो मृत्यु या गंभीर दुर्घटना की स्थिति में सहायता प्रदान करता है।

   यह कवरेज सरकारी और सूचीबद्ध निजी अस्पतालों में कैशलेस उपचार के लिए उपलब्ध है। सूची के लिए क्लिक करें

कवरेज:

   योजना में विभिन्न प्रकार की चिकित्सा प्रक्रियाएं शामिल हैं, जैसे कि कैंसर का उपचार (कीमोथेरेपी), हृदय संबंधी सर्जरी (एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी, बाईपास), गुर्दे की पथरी का उपचार (ईएसडब्ल्यूएल), और हेमोडायलिसिस।

प्रीमियम और पंजीकरण:

   गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल), राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) 2011 के लाभार्थी, छोटे/सीमांत किसान, और संविदा कर्मचारी मुफ्त कवरेज के पात्र हैं।

   अन्य परिवार ₹850 प्रति वर्ष के मामूली प्रीमियम का भुगतान करके योजना में शामिल हो सकते हैं।

   पंजीकरण ऑनलाइन या ई-मित्र केंद्रों के माध्यम से किया जा सकता है।

पात्रता मानदंड:

निवास:

   आवेदक को राजस्थान का स्थायी निवासी होना चाहिए।

आर्थिक स्थिति:

   गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) वाले परिवार।

   राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत कार्डधारक।

   सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) 2011 के लाभार्थी।

   छोटे और सीमांत किसान।

   सभी विभागों के संविदा कर्मचारी

जन आधार कार्ड:

  योजना का लाभ उठाने के लिए जन आधार कार्ड अनिवार्य है, जिसमें आधार कार्ड नंबर अपडेट होना चाहिए।

  राज्य और केंद्र सरकार के नियमित कर्मचारी इस योजना के लिए पात्र नहीं हैं।

आवेदन प्रक्रिया:

मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना में पंजीकरण की प्रक्रिया सरल और पारदर्शी है:

ऑनलाइन पंजीकरण:

  आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। CLICK HERE

   आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।

   यदि प्रीमियम लागू है, तो ₹850 का भुगतान डिजिटल माध्यमों से करें।

NFSA (खाध्य सुरक्षा योजना) के लाभार्थी एवं SECC (सामाजिक और आर्थिक सर्वे ) में पात्र परिवार स्वतः ही इस योजना में पात्र है

   नजदीकी ई-मित्र केंद्र पर भी जाकर आवश्यक दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, जन आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, और आय प्रमाण पत्र (यदि आवश्यक हो) जमा करवाकर पंजीकरण करवाया जा सकता है.

प्रभाव और भविष्य

मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना ने राजस्थान के स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने का कार्य किया है। इस योजना ने न केवल आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सशक्त बनाया है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच को बढ़ाकर राज्य के समग्र स्वास्थ्य सूचकांकों में सुधार किया है। योजना के तहत कैंसर, हृदय रोग, और अन्य गंभीर बीमारियों के उपचार को कवर करने से मृत्यु दर में कमी और जीवन की गुणवत्ता में सुधार देखा गया है।

यह योजना न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाती है, बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को वित्तीय सुरक्षा भी प्रदान करती है। ₹25 लाख तक का स्वास्थ्य बीमा और ₹10 लाख का दुर्घटना कवर इस योजना को देश की सबसे व्यापक स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में से एक बनाता है। यह योजना राजस्थान के लोगों के लिए एक स्वस्थ और समृद्ध भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

भविष्य में, इस योजना को और प्रभावी बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  • ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाना।
  • अधिक निजी और सरकारी अस्पतालों को योजना में शामिल करना।
  • तकनीकी प्रक्रियाओं को और सरल करना।
  • धोखाधड़ी रोकने के लिए कड़े नियम और निगरानी।

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